Elon Musk Starlink Satellites से निकलने वाली रेडियो तरंगें खगोलशास्त्रीयों के अनुसंधान में बड़ी बाधा डाल रही हैं। ये तरंगें गहरे अंतरिक्ष की वस्तुओं का अध्ययन करने में मुश्किलें पैदा कर रही हैं।
एलन मस्क के स्टारलिंक उपग्रह खगोलशास्त्रीयों के लिए बड़ी समस्या बन रहे हैं। नीदरलैंड के वैज्ञानिकों ने बताया है कि इन उपग्रहों का नेटवर्क रेडियो तरंगों में हस्तक्षेप कर रहा है, जिससे खगोलशास्त्री ब्लैक होल, एक्सोप्लैनेट और दूर की आकाशगंगाओं का अध्ययन करने में मुश्किल महसूस कर रहे हैं।
खगोल अनुसंधान पर असर
एस्ट्रोन की निदेशक, प्रोफेसर जेसिका डेम्पसी के अनुसार, स्टारलिंक के नए उपग्रहों से होने वाला हस्तक्षेप पुराने मॉडल्स की तुलना में 32 गुना ज्यादा है। इन उपग्रहों से निकलने वाला विद्युत चुम्बकीय विकिरण, रेडियो दूरबीनों के लिए जरूरी संकेतों को पकड़ने में कठिनाई पैदा कर रहा है।
वर्तमान में कक्षा में 6,400 से अधिक स्टारलिंक उपग्रह हैं, और यह संख्या 2030 तक 100,000 से ज्यादा होने की उम्मीद है। इससे खगोलशास्त्रीयों की चिंताएं बढ़ गई हैं। अध्ययन के प्रमुख लेखक सीस बासा ने उपग्रहों के विकिरण को पूर्ण चंद्रमा की रोशनी के समान बताया, जो दूर के मंद तारों को प्रभावित करता है।
स्पेसएक्स से कार्रवाई की मांग
खगोलशास्त्रीयों का मानना है कि कुछ सरल उपाय जैसे उपग्रहों की बैटरियों को ढालना या विकिरण कम करना, हस्तक्षेप को काफी हद तक कम कर सकते हैं। प्रोफेसर डेम्पसी ने चेतावनी दी है कि यदि इसे अनसुलझा छोड़ दिया गया, तो यह खगोलीय अनुसंधान के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि स्पेसएक्स को जिम्मेदार अंतरिक्ष संचालन के लिए एक मिसाल स्थापित करनी चाहिए।
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