(Harda Blast) मध्य प्रदेश के हरदा जिले में 8 फरवरी 2024 को एक पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट हो गया, जिसमें 11 लोगों की मौत हो गई और 50 से अधिक घायल हो गए। विस्फोट इतना तेज था कि आसपास के इलाकों में भी कंपन महसूस किया गया।

हरदा में हुए पटाखा फैक्ट्री विस्फोट ने त्रासदी का नया अध्याय लिखा है। तलघर में अवैध रूप से बनाया गया बारूद का गोदाम इस विनाश का मुख्य कारण बना। यह हादसा सुरक्षा मानकों की घोर अनदेखी और लापरवाही का जीता-जागता प्रमाण है।
Harda Blast : विस्फोट का तांडव
- जमीन का कंपन और पत्थरों की बारिश:तलघर में रखे बारूद के विस्फोट से जमीन हिल उठी और मलबे और पत्थरों की भयानक बारिश हुई।
- मलबा बना मौत का फरमान:विस्फोट के कारण तीन मंजिला फैक्ट्री का मलबा 400 मीटर दूर तक गया, जो लोगों की मौत का मुख्य कारण बना।
- आग बुझाने में मुश्किलें:तलघर में होने के कारण बारूद में लगी आग को बुझाने में दमकल कर्मियों को भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
नियमों का खुला उल्लंघन:
- गलत गोदाम:फैक्ट्री में 15 किलो विस्फोटक पदार्थों के लिए जमीन पर 25 वर्ग मीटर क्षेत्रफल वाला गोदाम होना चाहिए था। लेकिन, नियमों को ताक पर रखकर बारूद के भंडारण के लिए तलघर का इस्तेमाल किया जा रहा था।
- लाइसेंस नवीनीकरण:नियमों के उल्लंघन के बावजूद राजेश अग्रवाल के लाइसेंस का हर साल नवीनीकरण होता रहा।
- अफसरों की लापरवाही:गृह विभाग हर साल पटाखा फैक्टरियों और गोदामों की जांच के लिए पत्र जारी करता है, लेकिन हरदा की फैक्ट्री में लापरवाही बरती गई।
सबक लेने की आवश्यकता:
यह हादसा एक बार फिर सुरक्षा मानकों की घोर अनदेखी और लापरवाही के गंभीर परिणामों को दर्शाता है। सरकार को इस घटना से सबक लेते हुए पटाखा फैक्टरियों में कड़ी सुरक्षा मानकों का पालन सुनिश्चित करना चाहिए और लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
ध्यान देने योग्य बातें:
- बाल श्रमिकों की मौजूदगी:विस्फोट में कई बाल श्रमिकों की भी मौत हुई है, जो बाल श्रम कानून का उल्लंघन है।
- पर्यावरणीय प्रभाव:विस्फोट का पर्यावरण पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
ऐसी त्रासदियां दुबारा ना हों, इसके लिए हमें सतर्क रहना होगा।
यह हादसा (Harda Blast) एक चेतावनी है। हमें सुरक्षा मानकों को प्राथमिकता देनी चाहिए और लापरवाही को बर्दाश्त नहीं करना चाहिए।